पुनर्जागरण की शुरुआत यूरोप से शुरू हुई। क्योंकि सबसे पहले यूरोप के नागरिकों ने किसी भी चीज को वैज्ञानिकता के आधार पर सोचना शुरू किया। पुनर्जागरण का सीधा सा मतलब होता है फिर से जगना या फिर से जन्म लेना। यूरोप के लोगों ने एक नई सोच एक नई पीढ़ी को जन्म देना।
हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पुनर्जागरण के बारे में कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में, कला के क्षेत्र में, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में साथ ही साथ यूरोपीय भाषाओं के क्षेत्र में विकास करना ही पुनर्जागरण है।

मध्यकाल के समय जो प्राचीन आदर्श एवं जीवन मूल्य था। उन्हें भुला दिया गया था। प्राचीन आदर्श एवं जीवन मूल्य को मध्य काल के रूढ़ियों, अंधविश्वासों, धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के स्वार्थ की परतों से ढक दिया गया था। जिसे आधुनिक काल में फिर से एक नई सोच, वैज्ञानिक चिंतन, प्राचीन आदर्शों का स्मरण तथा लोगों के नए जीवन का रूप धारण किया। इसे ही पुनर्जागरण का नाम दिया गया।जाने आपकी राशि क्या है? अपनी राशि खुद से जानें ?
पुनर्जागरण काल क्या था ?
पुनर्जागरण का दौर सबसे पहले यूरोप में शुरू हुआ। इतिहासकार का मानना है कि पुनर्जागरण का आरंभ 1453 ईसवी से शुरू हुई। या फिर कह सकते हैं पंद्रहवीं शताब्दी से इस साल की शुरुआत हुई। सबसे पहले यूरोप वासियों ने अपने जीवन की दृष्टिकोण को बदलकर अपनी समस्याओं पर विचार किया। और उनकी कोशिश रहती थी हर बात को वैज्ञानिकता के आधार पर सोचे और इस तरह से उन्हें नए ज्ञान की प्राप्ति हुई।
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इस तरह से यूरोप वासी इस प्रक्रिया से गुजरते हुए जो वैचारिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं बौद्धिक उन्नति की। उसी को पुनर्जागरण नाम दिया गया। यही काल पुनर्जागरण का काल कहलाता है।
पुनर्जागरण के क्या क्या कारण थे ?(punarjagran ke kya kya karan the?)
यूरोप में पुनर्जागरण की घटना कोई अचानक घटने वाली घटना नहीं थी। बल्कि यह मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में धीरे-धीरे होने वाली विकास का देन है पुनर्जागरण।

यूरोप में आधुनिक पुनर्जागरण के बहुत सारे कारण हैं जिनका विवरण हमने नीचे किया है: –
कुस्तुनतुनिया का पतन
1453 में जब तुर्कों ने कुस्तुनतुनिया के रोमन साम्राज्य पर कब्जा कर लिया तो पूरे यूरोप में हलचल मच गई। तुर्को के अत्याचार से बचने के लिए ग्रीक विद्वानों, साहित्यकारों तथा कलाकारों ने भागकर इटली में शरण ले ली। इटली पहुंचकर वहां के विद्वानों से मुलाकात हुई जिसके परिणाम स्वरुप पुनर्जागरण का काल एक नई सोच के साथ बहुत तेजी से फैला। कुस्तुनतुनिया का पतन पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
धर्मयुद्धो का प्रभाव
मध्यकाल में ईसाइयों एवं मुसलमानों में अनेक धार्मिक संघर्ष हुए। दोनों की संस्कृतियों का भी आदान-प्रदान हुआ। अरब के द्वारा विकसित की गई अंकगणित तथा बीजगणित भी यूरोप में काफी प्रचलित हुआ। यूरोप में रोमन पोप तथा सम्राटों के बीच संघर्ष के कारण वहां के नागरिक धीरे-धीरे पॉप तथा वहां के धर्म पर श्रद्धा कम होने लगी। इस परिणाम स्वरूप भी धर्म सुधार आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। मुसलमानों के आक्रमण का सामना करने के लिए यूरोप के राष्ट्रीय आपसी संबंध भी घनिष्ठ होने लगी। लेकिन इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।
नए भौगोलिक खोजों का प्रभाव
यूरोप वासी नए-नए जगहों, नए रास्तों को खोजने के लिए अलग-अलग जगहों पर लोगों को भेजा करते थे। इसी क्रम में कुछ साहसी नाविकों जैसे पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस, पोलैंड आदि देश के नाविकों ने अमेरिका, अफ्रीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के पास पहुंचने का रास्तों का पता लगाया। इसकी वजह से इन देशों के व्यापार में वृद्धि हुई तथा उपनिवेश स्थापना का कार्य आगे बढ़ा। इसी वजह से यूरोप के धर्म एवं संस्कृति का भी प्रचार प्रसार का मौका मिल गया। भौगोलिक खोज भी पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण कारण बना।
औपनिवेशक विस्तार
जब नए-नए देशों का पता चला तो यूरोप के राज्यों में धीरे-धीरे औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की शुरुआत हुई। इसकी वजह से यूरोपीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रसार दूसरे दूसरे देशों में होने लगा।
मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास
इरासमस नामक डच लेखक ने ईसाई धर्म की कमजोरियों को आम आदमी के सामने रखा। उसने आम आदमी को भी महत्व देने की बात खुलकर की थी इस प्रकार से कह सकते हैं मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास भी पुनर्जागरण का एक हिस्सा है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
नए-नए हमारे गांव की खोज के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार जोर शोर से होने लगा योग के व्यापारी चीन और भारत जैसे अन्य देशों में पहुंचने लगी। यूरोप का व्यापारी और ज्यादा समृद्ध हो गया तथा व्यापार एक देश से दूसरों देश में प्रगति का रहा है।
नये वैज्ञानिक अविष्कार
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के कारण बहुत ज्यादा धन एकत्रित हो गया। जिसके कारण धन का उपयोग नए नए अविष्कारों में किया जाने लगा। पुनर्जागरण के लिए आवश्यक था नए नए विचारों का और उसके बारे में प्रचार प्रसार करने का। कागज तथा मुद्रालय के अविष्कार में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सामंतवाद का पतन
पुनर्जागरण के उत्थान में सामंतवाद का पतन एक महत्वपूर्ण कारण था। सामंतवाद के रहते पुनर्जागरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। ऐसे ही सामंतवाद का पतन हुआ लोगों ने स्वतंत्र होकर उद्योग, धंधे, व्यापार, कला और साहित्य के विकास में अपनी रूचि दिखाई और नए नए विचारों का सृजन किया।
पुनर्जागरण की क्या क्या विशेषताए और लक्षण थी ?
पुनर्जागरण का अर्थ मध्यकाल की तुलना में किन-किन नए-नए विचारों का उद्भव हुआ। तथा किस क्षेत्र में नए-नए विकास और इनका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा। तो आइए पुनर्जागरण की विशेषता के बारे में बात करते हैं:
लोक भाषा और राष्ट्रीय भाषा का विकास
पुनर्जागरण के काल में शासकों ने लोक भाषा को बढ़-चढ़कर प्रोत्साहित किया तथा राष्ट्रीय साहित्य के विकास पर बल दिया और उनके प्रचार प्रसार के लिए अलग-अलग देशों में दार्शनिक को भेजा करते थे।
व्यक्तिवाद का विकास
पुनर्जागरण के उत्थान के समय मानवतावादी विचारधारा व्यक्तिवादी थी। उस समय आम आदमी के नैतिकता का कोई मोल नहीं था। वह एकदम भौतिकवादी था। उन्होंने जीवन के सुकून को ज्यादा महत्व दिया। उन्होंने कहा किस शक्ति के लिए संघर्ष में नैतिकता का कोई मूल्य नहीं है। उपनिवेशो में भी भौतिकवादी और उपयोगितावादी संस्कृति का प्रचार प्रसार जोर शोर से किया।
धर्म सुधार आन्दोलन का उदय
मध्यकाल में कैथोलिक चर्च में बहुत सारे दोष उत्पन्न हो चुके थे। पोप और पादरियों ने अपनी प्रभाव से जनता को अपने अधीन बनाए रखने के लिए बहुत सारे झूठ और गलत तरीका अपनाते थे। और उन्हें बाइबल पढ़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। पादरी का वचन सत्य हो या असत्य जनता को श्रद्धा से उन्हें मानना पड़ता था।
जब आम लोगों में शिक्षा, ज्ञान, तर्क एवं विज्ञान का प्रचार प्रसार सामान्य जनता तक पहुंचने लगी तो यूरोप के सभी देशों में धर्म सुधार की मांग होने लगी तथा इसके लिए जगह जगह पर आंदोलन और संघर्ष होने लगी। इसी काल में बहुत सारे धर्म आंदोलन भी हुए। पुनर्जागरण के निर्माण में धर्म आंदोलन का उदय भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।
कलात्मक विकास
पुनर्जागरण के काल में कला के बहुत सारे रूप जैसे स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रकला इत्यादि का विकास जोर शोर से होने लगा। इससे लोग के जीवन में एक नया रंग और नई तरह की जीवन लेकर आया। ऐसे भी पुनर्जागरण का मुख्य संबंध तो मनुष्य की चेतना और उसकी सांस्कृतिक से था। इसलिए संस्कृति क्षेत्र में भी बहुत सारे नए विचार और नयापन दिखाई दिया। यूरोप वासियों में जिस तरह से साहित्य के क्षेत्र में रुचि देखी गई उसी तरह से कला की क्षेत्र में भी नयापन दिखाई दिया। इस तरह से कला के क्षेत्र में भी बहुत सारे कृति मान रचे गए।
वैज्ञानिक अन्वेषण
पोप और पादरीयों के द्वारा समाज में जो अंधविश्वास अनुचित सिद्धांत और नैतिकता गलत विचार और व्यवहार फैलाया था। उसका पोल खोलने के लिए वैज्ञानिको ने बहुत सारे कार्य किए। जब वैज्ञानिको ने धर्म के ठेकेदारों की पोल समाज के सामने खोल कर रख दी तब समाज में समाज के शुभचिंतक चिंतन,विचार, साहित्य, परंपरा, आदर्श, राजनीति और संस्कृति में भी बहुत सारे परिवर्तन हुए।
पुनर्जागरण से क्या समझते हैं? कुस्तुनतुनिया का पतन
कुस्तुनतुनिया का पतन :- 1453 ई. में उस्मानी तुर्कों ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया. कुस्तुनतुनिया ज्ञान-विज्ञान का केंद्र था. तुर्कों की विजय के बाद कुस्तुनतुनिया के विद्वान् भागकर यूरोप के देशों में शरण लिए. उन्होंने लोगों का ध्यान प्राचीन साहित्य और ज्ञान की ओर आकृष्ट किया.
इससे लोगों में प्राचीन ज्ञान के प्रति श्रद्धा के साथ-साथ नवीन जिज्ञासा उत्पन्न हुई. यही जिज्ञासा पुनर्जागरण (Renaissance in Europe) की आत्मा थी. कुस्तुनतुनिया के पतन का एक और महत्त्वपूर्ण प्रभाव हुआ. यूरोप और पूर्वी देशों के बीच व्यापार का स्थल मार्ग बंद हो गया.
अब जलमार्ग से पूर्वी देशों में पहुँचने का प्रयास होने लगा. इसी क्रम में कोलंबस, वास्कोडिगामा और मैगलन ने अनेक देशों का पता लगाया।
FAQ ( Frequently asked question)
पुनर्जागरण का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण व्यापार के क्षेत्र में विकास करना था।नए-नए देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक सम्बन्ध कायम करना था। और उन्हें अपने देश की सभ्यता-संस्कृति को जानने का अवसर मिला। व्यापार के विकास ने एक नए व्यापारी वर्ग को जन्म दिया।
पुनर्जागरण की शुरुआत कुस्तुनतुनिया के पतन के बाद इटली के फ्लोरेंस नगर में हुई थी। पुनर्जागरण काल का अग्रदूत इटली के महान कवि दाते को माना जाता है।
पहला कारण यह की जब भूमध्य सागर के किनारे होने के कारण वहां वाणिज्य व्यापार बहुत अधिक था। दूसरा जब कस्टंटूनिया का पतन हुआ तो वहां के विद्वान, कलाकार और साहित्यकार भाग इटली में ही बसे थे। जहां से पुनर्जागरण की शुरुआत दोनों देशों के विद्वानों ने मिलकर किया।
रेनेसा एक फ्रेंच वर्ड है जिसका अर्थ होता है पुनर्जागरण या पुनर्जीवन।
Last Say,
आज इस पोस्ट में हमने आपको बताया की पुनर्जागरण क्या होता है? (Punarjagran se aap kya samajhte hain?). उम्मीद है इस आर्टिकल से आपको हेल्प मिला होगा. यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे अन्य लोगों के साथ जरुर शेयर करें. यदि आप इस पोस्ट से सम्बंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बताएं.